August 16, 2011

प्रिय ______ , तुम्हारे लिए, तुम जहाँ भी मिलो

     
यह  प्रेम पत्र है,
_____ के लिए , वह मुझे जहाँ भी मिले |


" मेरी मृगतृष्णा सी ,
पानी में घुले कांच से बनी ,
 मेरे स्वयं के उत्साह की परछाई |

तुम जिस दिन मिलोगी ,
कुछ दूर खड़ी,
सड़क के उस पार |
बालों में हाथ उलझाए ,
मुस्कुराओगी  , राधिका सी मुस्कराहट|
 भीड़ के शोर में तब संगीत होगा ,
मद्धिम पर स्पष्ट ,
उठता सा |

 मैं समीप जाकर तुम्हारा हाथ थामूँगा |
  मेरी आतुरता पर हँसोगी,
 राधिका सी हंसी |

 घास पर बैठे हुए ,
तुम पत्तों से खेलना ,
 मैं विस्मृति में निहारूंगा |
अपने भगवान् को धन्यवाद दूंगा ,
 मैं भाग्यशाली  हूँ |

 हम हमेशा साथ रहेंगे |


 तुम्हारा,
__________   "