गर्वित सीना ,
आवरण और कवच
सागर और रेत की गर्माहट में
सीमान्त की रेखा |
ये युद्ध है ,
तुम्हारा उत्तरदायित्व है, लड़ना
और जीतना |
यह तुम्हारी नियति है ,
यह तुम्हारा धर्म है |
आग्रह नहीं था किसीका ,
न ही विकल्प था |
बस परिपक्वता का उपहार था ,
प्रतिष्ठा थी संदूक में बंद ,
सीमा के पार |
अब निभाओ उसे ,
तलवार उठाओ ,
जंग लगी ढाल संभालो ,
कवच से ढकी देह को उद्दत करो
और जाओ वहां ,
जहाँ की भूमि में वासना है , लालसा है |
बहते रक्त में बलिदान ढूँढो ,
रणभेरी के शोर में विजय ढूँढो |
लाल तिलक की गरिमा को सार्थक करो ,
क्योंकि पराक्रम की परिभाषा तो किसी ने नहीं लिखी |
यहाँ कोई पार्थ नहीं , कोई अर्जुन नहीं है |
यहाँ न न्याय है न सत्य |
यहाँ बस युद्ध है , शौर्य है ,पौरुष है |
वीर बनो , बलिदान मांगो |
तुम योद्धा हो ,
जाओ लड़ो |
आवरण और कवच
सागर और रेत की गर्माहट में
सीमान्त की रेखा |
ये युद्ध है ,
तुम्हारा उत्तरदायित्व है, लड़ना
और जीतना |
यह तुम्हारी नियति है ,
यह तुम्हारा धर्म है |
आग्रह नहीं था किसीका ,
न ही विकल्प था |
बस परिपक्वता का उपहार था ,
प्रतिष्ठा थी संदूक में बंद ,
सीमा के पार |
अब निभाओ उसे ,
तलवार उठाओ ,
जंग लगी ढाल संभालो ,
कवच से ढकी देह को उद्दत करो
और जाओ वहां ,
जहाँ की भूमि में वासना है , लालसा है |
बहते रक्त में बलिदान ढूँढो ,
रणभेरी के शोर में विजय ढूँढो |
लाल तिलक की गरिमा को सार्थक करो ,
क्योंकि पराक्रम की परिभाषा तो किसी ने नहीं लिखी |
यहाँ कोई पार्थ नहीं , कोई अर्जुन नहीं है |
यहाँ न न्याय है न सत्य |
यहाँ बस युद्ध है , शौर्य है ,पौरुष है |
वीर बनो , बलिदान मांगो |
तुम योद्धा हो ,
जाओ लड़ो |